शारीरिक सुख को ना समझो प्यार का आधार सुख नहीं मिलेगा इसमें ये है सिर्फ विषैला प्यार। शारीरिक सुख को ना समझो प्यार का आधार सुख नहीं मिलेगा इसमें ये है सिर्फ विषैला...
सोचे मानव समाज एक बार पुनः छोड़ के भेदभाव का मानसिक विकार। सोचे मानव समाज एक बार पुनः छोड़ के भेदभाव का मानसिक विकार।
सोचे मानव समाज एक बार पुनः छोड़के भेदभाव का मानसिक विकार। सोचे मानव समाज एक बार पुनः छोड़के भेदभाव का मानसिक विकार।
रिश्ते कुछ होते हैं ऐसे, कुदरत जिन्हें बनाती है। मिलकर के हॅंसना और गाना, करना प्यार रिश्ते कुछ होते हैं ऐसे, कुदरत जिन्हें बनाती है। मिलकर के हॅंसना और गाना, करन...
चलो आज अपना पुनर्ज्नम करते हैं समस्त दोष विघ्न विकारों का दहन करते हैं। चलो आज अपना पुनर्ज्नम करते हैं समस्त दोष विघ्न विकारों का दहन करते हैं।
यही संकेत दे रहे हैं जगत को गांधीजी के यह तीन बंदर। यही संकेत दे रहे हैं जगत को गांधीजी के यह तीन बंदर।